ध्यान कोई तकनीक नहीं, वह जीवन जीने की कला है
(JeevanPrabhat 2098)
Description= हम अपने चेहरे पर एक आदतों का मुखौटा लगा लेते हैं लेकिन ध्यान में हम बिल्कुल शांत हो जाएं और आपका व्यवहार ध्यानी की तरह हो जाना चाहिए ।हर चीज को योग बना लें, जीवन की हर क्रिया से इस योग को जोड़ लेना चाहिए इसके लिए भाव बहुत जरूरी है जीवन में धन कमाए उस परमात्मा के पर धन्यवाद भी करना चाहिए उसकी कृपा को अनुभव करें आ
प जब उसेअनुभव करेंगे तो वह योग हो जाएगा ईश्वरी कार्य जब होता है तब वही योग हो जाता है
प जब उसेअनुभव करेंगे तो वह योग हो जाएगा ईश्वरी कार्य जब होता है तब वही योग हो जाता है

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