जीवन को मूल्यवान बनाकर अपने सौभाग्य को बढ़ाएं
जीवन को मूल्यवान बनाकर अपने सौभाग्य को बढ़ाएं
जब कोई शिष्य गुरु के ओरा में शामिल होकर गुरु रंग में रंग जाता है तो उसके अंदर अद्भुत शक्ति और ऊर्जा जैसे कीमती तत्व का विकास होता है। इसलिए गुरु के समक्ष कभी भी किसी भी तरह का दिखावा और अपने अहंकार का प्रदर्शन ना करें। बल्कि मर्यादा में रहते हुए उनसे विचार विमर्श करें। इसलिए जो शिष्य तन मन से अपने गुरु के समक्ष उपस्थित होकर गुरु कार्य को आत्मसात होकर निष्काम भाव से सेवा करता है। उसके अंदर गुरुत्व उतर आता है। इसलिए आसक्ति का त्याग कर कर्म करने वाले बनें। जब हमारे जीवन में गुरु कृपा होती है तो हमारा जीवन मूल्यवान हो जाता है। पितरों की कृपा और गुरुजनों की कृपा हमारे सौभाग्य को बढ़ाता है और हमारे अंदर के संतुलन को बनाए रखता है।

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