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ध्यान द्वारा स्वयं को संपन्न और संतुष्ट महसूस करें।

 ध्यान द्वारा स्वयं को संपन्न और संतुष्ट महसूस करें। प्रभु के प्रेम पात्र बनने के लिए व्यक्ति स्वयं को सक्षम बनाएं, तृप्त और संतुष्ट अनुभव करें, धन्यवादी बनकर जिएं और प्रार्थना करते वक्त अपने मन को शांत और संतुलित रखें। साथ ही अपना ध्यान उस पर केंद्रित करें जो आपको चाहिए। जब आप स्वयं को नियंत्रित कर ध्यान में बैठते हैं तो आप स्वयं को शांत स्थिर करते हुए ब्रह्मांड से जुड़ जाते हैं और ब्रह्मांड से आती हुई ऊर्जा को अनुभव करते हुए परमात्मा के प्रेम से जुड़ते हैं। तब आप स्वयं को संपन्न और संतुष्ट महसूस करते हुए प्रभु के प्रति आभार व्यक्त कर धन्यवाद अर्पित करते हैं। जब आप सत्संगी बनते हैं तो आपकी जिंदगी बदल जाती है। जिससे आप परमात्मा के प्रेम को पाने योग्य बनते हैं।

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